कोरोना में शुरू किया स्टार्टअप, बच्चों को सिखा रहा है वीडियो कंटेंट बनाने की A,B,C,D

स्टार्टअप xQ की शुरुआत कोविड-19 के दौरान हुई थी, जिसे कार्तिक तलवार, साइमन जैकब, पवन वदलमणि और दक्ष शर्मा ने मिलकर शुरू किया था। 2020 में शुरू हुआ यह स्टार्टअप स्कूल के साथ काम करके वहां वीडियो लैब सेटअप करता है, और स्कूल को उपकरण प्रदान कराता है। इन उपकरण के माध्यम से स्कूल के बच्चों को वीडियो कंटेंट पढ़ाया जाता है, और हर सेशन का कंटेंट और पाठ्यक्रम प्रोवाइड कराया जाता है। स्टार्टअप के सीईओ कार्तिक तलवार बताते हैं कि स्किल्स का स्कूल से जुड़ाव बनाए रखने के लिए हम हर प्रोजेक्ट के बाद जो असाइनमें

बिना पैसा लगाए शुरू किया बिजनेस, आज बड़े-बड़े सेलिब्रिटी हैं उनके कस्‍टमर।

12 अक्टूबर सन् 1990 को मथुरा में जन्मी मालविका सक्सेना को बचपन से ही आर्ट में रुचि रही। लेकिन उनके घरवालों का मानना था कि इंटेलीजेंट बच्चे साइंस और कॉमर्स पढ़ते हैं, ये आर्ट-वार्ट तो पढ़ाई में फिसड्डी लोगों की चीज है। मालविका ने मथुरा से एमबीए किया। मालविका बताती हैं कि मुझे जितनी बंदिशों और नियंत्रण में पाला गया था, मेरे अंदर आजाद होने की इच्छा भी उतनी ही तेज हो गई थी। एक दिन में अपने कमरे में पुराने जूते पड़े मिले जिन्हें वो बैठने वाली थी, लेकिन इन्होंने जूतों को बैठने की बजाय पेंट कर डाला। यह

1.5 लाख में शुरू किया था चिकनकारी का बिजनेस, आज 1.5 करोड़ रुपये है टर्नओवर।

उत्तर प्रदेश की राजधानी और नवाबों का शहर लखनऊ की एक चीज इस शहर को दुनिया में लोकप्रिय बनाने में योगदान रखती है, और वह है चिकनकारी। यह कपड़ों पर की जाने वाली कढ़ाई का एक फॉर्म है। इसी चिकनकारी के बिजनेस से लखनऊ में न जाने कितने लोग जुड़े हुए हैं, उन्हीं में से एक हैं कृष्णा चिकन एंपोरियम के मालिक कृष्णा पाल का। उत्तर प्रदेश के जिले उन्नाव के सफीपुर से ताल्लुक रखने वाले 25 साल के कृष्णा पाल चिकनकारी वाले कपड़ों के होलसेल बिजनेस में हैं, इनकी मैन्युफैक्चरिंग से लेकर बिक्री तक का काम वह अपने पिता …

प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने वाले गौतम अडानी एशिया के सबसे अमीर शख्स है।

गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। अडानी के छह भाई-बहन थे। अडानी का परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहता था। गौतम अडानी का कारोबारी सफर तब शुरू हुआ, जब वह गुजरात यूनिवर्सिटी से बीकॉम पूरा किए बिना मुंबई आ गए। गौतम अडानी अपने भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने के लिए वापस अहमदाबाद आ गए। यहां गौतम अडानी ने पीवीसी यानी पॉलिविनाइल क्लोराइड का इंपोर्ट शुरू करने का फैसला किया और ग्लोबल ट्रेडिंग में एंट्री की। प्लास्टिक बनाने में पीवीसी का बड़े पैमाने पर इस

2006 में टाटा संस बोर्ड में शामिल होने से, चेयरमैन बनने तक, ऐसा रहा साइरस मिस्त्री का सफर।

4 जुलाई सन 1968 को जन्मे साइरस मिस्त्री पालोनजी शापूरजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे थे। इन्होंने मुंबई के कैथेड्रल एंड संस जॉन कॉनन स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। साल 1990 में लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर 1991 में परिवार की कंस्ट्रक्शन कंपनी शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के डायरेक्टर के रूप में ज्वाइन किया। इसके बाद साइरस 2006 को टाटा संस बोर्ड में शामिल हुए। पिता पालोनजी मिस्त्री के टाटा संस से रिटायर होने के बाद उनकी एंट्री हुई थी। साइरस मिस्त्री में टाटा समूह क

चपरासी की नौकरी छोड़ की बिजनेस की शुरुआत, आज 8 हजार करोड़ से ज्यादा रेवेन्यु वाली कंपनी।

सन् 1925 में गुजरात के भावनगर जिले के महुआ कस्बे में जन्मे बलवंत राय कल्याणजी पारेख ने वकालत में डिग्री हासिल तो की लेकिन कभी वकालत करने का अभ्यास नहीं किया, उल्टा वह मुंबई में एक डाइंग व प्रिंटिंग प्रेस में काम करने लगे। कुछ समय काम करने के बाद वह एक व्यापारी के कार्यालय में चपरासी बने। लेकिन बलवंत राय को अपना बिजनेस करना था, तो उन्होंने मोहन नाम के एक निवेशक की मदद से साइकिल, एरेका नट, पेपर डाइज को पश्चिमी देशों से भारत में इंपोर्ट करने का बिजनेस शुरू किया। बलवंत ने 1954 मे जर्मनी की कंपनी …

कॅरियर से ब्रेक लेने वाली महिलाओं के लिए यह स्टार्टअप करता है नौकरी ढूंढने में मदद।

पुणे में स्थित स्टार्टअप SheWork की शुरुआत करने वाली 27 साल की लड़की पूजा बांगड़ हैं। पुणे यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर एंड साइंस में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूजा ने कई सारी बड़ी टेक कंपनियों में जेनसर और कॉग्निजेंट के पद पर काम किया। कॉग्निजेंट में नौकरी के दौरान पूजा एक जर्मन प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं, उस वक्त पूजा की मैनेजर का प्रमोशन इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वो मैटरनिटी लीव पर चली गई थीं। पूजा को ये बात बहुत बुरी लगी, क्योकि इतनी मेहनत करने के बाद भी महिला इस तरह कॅरियर में पुरुषों

छोटे स्तर से की शुरुआत, 400 से भी ज्यादा प्रोडक्ट बेच रहीं राजश्री।

तिरुवनंतपुरम से आने वाली कृषि उद्यमी महिला राजश्री को बिजनेस शुरू करने का आईडिया तब आया, जब उनकी मां कटहल से बनी तमाम चीजें उन्हे पैक करके देती, जिससे वो उन्हें अगले साल तक इस्तेमाल कर सके। इकोनॉमिक्स से पोस्टग्रेजुएट राजश्री तब लगा कि यह एक अच्छा बिजनेस आइडिया हो सकता है। राजश्री में कटहल सिर्फ आस्था और बर्गर बनाने का सोचा। उन्होंने कयमकुलम के कृषि विज्ञान केंद्र में एडमिशन लिया जिससे वो कटहल को सुखाने की टेक्नोलॉजी समझ सकें। राजश्री ने वहां सीखा कि कटहल को सुखाने का सही तरीका क्या है, और किस त

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