रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित -क्षमा शोभती उस भुजंग को


Ramdhari Singh Dinkar composed by Dinkar -Shobhati to that Bhujang

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

इस कविता में कवि(रामधारी सिंह दिनकर) का कहना है:किसी को क्षमा करना उसी साँप को शोभा देता है, जिसके पास विष है। अर्थात वह साँप किसी को क्या क्षमा करेगा, जिसके पास दाँत ही नहीं हों। कहने का आशय है कि क्षमा केवल वीरों/शक्तिशाली को ही शोभा देती है|


        राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी.....

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