हरीश हार गया लेकिन खुद से जीत गया।


Harish lost but won himself.

ये कहानी है एक हरीश नाम के लड़के की। जिसे दौड़ना बहुत अच्छा लगता था। लेकिन वह कोई भी रेस पूरी नहीं कर पता था। उसने कई मैराथन में पार्टिसिपेट भी किया। लेकिन वह दौड़ पूरी नहीं कर पता था। एक दिन उसने निर्णय लिया की चाहे कुछ भी हो जाये, वह रेस पूरी जरूर करेगा। अब रेस शुरू हुई, हरीश ने दौड़ना शुरू किया उसने अपनी पूरी कोशिश की लेकिन सब आगे निकल गए। मगर अब हरीश थक गया था।  उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता, तो कम से कम चल तो सकता हूँ। उसने ऐसा ही किया वह धीरे 2 चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था। अब वह बहुत ज्यादा थक  गया था। उसने से बोला की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा। वह जिद करके वापस उठा और लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया। माना कि वह रेस हार चुका था, लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था। आज वह बहुत खुश था, आज वह हार कर भी जीता था। इस कहानी से यही सिख मिलती है की हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए की हम कुछ नहीं कर सकते।

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