क्या आप जानते हैं इस ब्रह्मांड की साम्राज्ञी के बारे में?


Do you know about the empress of this universe?

भगवान विष्णु मायापति हैं.. दुर्गा सप्त शती भी महाकाली को विष्णु माया और भगवती महालक्ष्मी को सर्व व्यापक मूलप्रकृति बताती है जो समस्त कारणों की कारण हैं.. जो वेदों में वर्णित सर्वोच्च शक्ति श्री हैं जिन्हें वेद इश्वरी सर्वभूतानाम् कहते हैं..

नारद पञ्चरात्र में श्रुति तथा विद्या के वार्तालाप में भगवान् की अन्तरंगा शक्ति और बहिरंगा शक्ति का अन्तर बताया गया है। 

जानात्येकापरा कान्तं सैवा दुर्गा तदात्मिका।

या परा परमा शक्तिर्महा विष्णुस्वरूपिणी ॥

यस्या विज्ञानमात्रेण पराणां परमात्मन:।

मुहूर्ताद् देवदेवस्य प्राप्तिर्भवति नान्यथा ॥

एकेयं प्रेमसर्वस्वस्वभावा गोकुलेश्वरी।

अनया सुलभो ज्ञेय आदिदेवोऽखिलेश्वर: ॥

अस्या आवारिकशक्तिर्महामायाखिलेश्वरी।

यया मुग्धं जगत्सर्वं सर्वे देहाभिमानिन: ॥ (नारद पांचरात्र)

 

“भगवान् की अपराशक्ति दुर्गा कहलाती है, जो भगवान् की प्रेमाभक्ति में समर्पित हैं। भगवान् की शक्ति होने के कारण यह अपराशक्ति उनसे अभिन्न है। एक अन्य पराशक्ति है, जिसका आध्यात्मिक स्वरूप साक्षात् भगवान् विष्णु जैसा ही है। इस पराशक्ति को वैज्ञानिक ढंग से समझ लेने मात्र से सभी आत्माओं के परमात्मा, समस्त ईश्वरों के ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। उन्हें प्राप्त करने की कोई अन्य_विधि नहीं है। यह पराशक्ति गोकुलेश्वरी अर्थात् गोकुल की देवी कहलाती है। वे स्वभाव से भगवत्प्रेम में सदैव मग्न रहती हैं और उन्हीं के माध्यम से सभी के स्वामी, आदि ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। इस अन्तरंगा शक्ति की एक आच्छादक शक्ति होती है, जो महामाया कहलाती है। और वही भौतिक जगत पर शासन चलाती है। वास्तव में वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को मोहती है, जिसके कारण ब्रह्माण्ड के भीतर का हर प्राणी अपनी पहचान भौतिक शरीर के रूप में करता है।"  

विष्णु पुराण, पद्म, स्कंद और भागवत आदि से भी इसकी पुष्टि होती है की भगवती लक्ष्मी सर्वपायक हैं भगवान विष्णु के ही भांति... 

 

यथा सर्वगतो विष्णुस्तथा लक्ष्मीशुभनान |

ईशाना सर्वजगतो विष्णुपत्नी सदा शुभा|| 14 ||

सर्वतः पाणिपादन्त सर्वतोऽक्षीशिरोमुखी |

नारायणी जगन्माता समस्तजगदाश्रय || 15 ||

यदापांगश्रितं सर्वं जगत्स्थवराजंगम |

जगत्स्थितिलयौ यस्य उन्मिलननिमिलानात् || 16 ||

सर्वस्याद्य महालक्ष्मिस्त्रिगुणा परमेश्वरी |

लक्ष्यलक्ष्यस्वरूपा स व्याप्य कृत्स्नं व्यवस्थिता || 17 |

(पद्म पुराण उत्तरखंड अध्याय 227)

 

इसके अलावा श्रुति वाक्य भी है - अस्येशाना जगतो विष्णुपत्नी।— कृष्ण यजुर्वेदीय तैत्तिरीय संहिता 4/4/12

 

अर्थात इस संसार की साम्राज्ञी विष्णुपत्नी हैं।

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