रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित रश्मिरथी में जाति-प्रथा पर तीखा प्रहार


Caste-system in Rashmirathi composed by Ramdhari Singh Dinkar

जब रंगभूमि  में कर्ण कि जाति का मजाक उड़ाया जाता है तब रामधारी सिंह दिनकर द्वारा जाति-प्रथा पर तीखा प्रहार

मूल जानना बड़ा कठिन है, नदियों का बिरो का,
धनुष छोड़ कर और, गौत्र क्या होता रणधीरों का।
पाते है सम्मान तपोबल से, भूतल पे सूर,
जाति-2 का शोर मचाते केवल कायर क्रुर।।

सबने देखा नहीं कर्ण ,जब निकल भीड़ से आया,
अनायास आतंक एक सम्पूर्ण सभा पे छाया।
कर्ण भले ही सूत पुत्र हो अथवा स्रैप्श , चमार,
मालिन है ,मगर इसके आगे सारे राजकुमार।।

 

------रामधारी सिंह दिनकर------------

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