"सुभद्रा कुमारी चौहान " द्वारा रचित चंद पंक्तियां : "क्या कहते हो, किसी तरह भी"


A few lines composed by "Subhadra Kumari Chauhan": "What do you say, somehow"

"क्या कहते हो, किसी तरह भी|
          भूलूँ और भुलाने दूँ||
      गत जीवन को तरल मेघ-सा
स्मृति-नभ में मिट जाने दूँ||

शान्ति और सुख से ये |
       जीवन के दिन शेष बिताने दूँ||
    कोई निश्चित मार्ग बनाकर|
चलूँ तुम्हें भी जाने दूँ||

कैसा निश्चित मार्ग, ह्रदय-धन|
    समझ नहीं पाती हूँ मैं||
  वही समझने एक बार फिर
क्षमा करो आती हूँ मैं"||

---""सुभद्रा कुमारी चौहान" -----
 

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