वरुण गांधी बीजेपी के तेज तर्रार नेता रहे हैं, लेकिन उनका लगता है विवादो से चोली-दामन का साथ है, इस बार इन्ही सब विवादों को लेकर बीजेपी ने उनको पिलिबिटी से टिकट नहीं दिया है।2019 में, उनकी उपस्थिति ने उनकी मां मेनका को जीत दिलाने में मदद की.लेकिन इस बार के चुनाव में देखना है कि ओ अपनी मां मेनका गांधी के लिए कैम्पेन कर रहे हैं कि नहीं क्योंकि वेआजकल चुनाव में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं.बीजेपी से वे दो बार संसद बन चुके हैं। देखना है कि इस बार वरुण गांधी की खामोशी कहीं बीजेपी के लिए भारी ना पड़ जाए.राजनीति पंडित भी मान रहे हैं कि बीजेपी को इसका कोई नुक्सान नहीं होने वाला है क्योंकि ये चुनाव मोदी जी के नाम पर लड़ा जा रहा है
वरुण गांधी दस साल मे पहली बार चुनावी परिदृश्य से गायब
