चपरासी की नौकरी छोड़ की बिजनेस की शुरुआत, आज 8 हजार करोड़ से ज्यादा रेवेन्यु वाली कंपनी।

सन् 1925 में गुजरात के भावनगर जिले के महुआ कस्बे में जन्मे बलवंत राय कल्याणजी पारेख ने वकालत में डिग्री हासिल तो की लेकिन कभी वकालत करने का अभ्यास नहीं किया, उल्टा वह मुंबई में एक डाइंग व प्रिंटिंग प्रेस में काम करने लगे। कुछ समय काम करने के बाद वह एक व्यापारी के कार्यालय में चपरासी बने। लेकिन बलवंत राय को अपना बिजनेस करना था, तो उन्होंने मोहन नाम के एक निवेशक की मदद से साइकिल, एरेका नट, पेपर डाइज को पश्चिमी देशों से भारत में इंपोर्ट करने का बिजनेस शुरू किया। बलवंत ने 1954 मे जर्मनी की कंपनी …

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