सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किशोरों में सहमति से हुए संबंधों को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा।


The Supreme Court said- Consent relations between teenagers will not be considered rape.

किशोरों में सहमति से हुए संबंधों को दुष्कर्म न मानने की मांग से जुड़ी एक अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इस पर कोर्ट ने केंद्र से कहा है दुनिया भर में लागू इस कानून को रोमियो और जूलिएट कानून कहा जाता है। दोनों के बीच सहमति हो और उम्र का अंतर कम हो तो यह कानून नाबालिगों में संबंधों के मामले में सुरक्षा देता है। बता दे की याचिका में किए गए दावे के अनुसार किशोर जब अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाते हैं, तब यह दुष्कर्म की श्रेणी में आता है और कानूनी तौर पर ये अपराध है। कई मामलों में लड़का सजा का हकदार होता है। तो वही लड़की अगर गर्भवती हो जाए तो मा बाप लड़के के खिलाफ केस दर्ज कर सकते है। इसलिए याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 32, अनुच्छेद 142 में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल कर 16 से 18 साल के किशोरों में सहमति से बने संबंध अपराध की श्रेणी से बाहर है यह निर्देश जारी करे।

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