अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में नस्ल-जातीयता के आधार पर एडमिशन की प्रथा पर रोक लगाने का एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले पर राष्ट्रपति बाइडन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके अनुसार वह इस फैसले से असहमत हैं। यह फैसला विचारशीलता के खिलाफ है और उसे बदला जाना चाहिए। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने नस्ल-आधारित प्रवेश प्रोग्रामों की प्रमाणिकता को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उनके अनुसार छात्रों के साथ व्यवहार करते समय उनके अनुभवों को महत्व देना चाहिए। उनके नस्ल-जातीयता के आधार पर नहीं। हमारा संविधान ऐसी विभाजनकारी प्रथा को स्वीकार नहीं करता है। लेकिन इस फैसले के खिलाफ न्यायमूर्ति सोनिया सोतोमयोर ने भी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि इससे महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने की क्षमता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जाति के बारे में चिंता न करने से समाज में समानता नहीं आएगी।
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट को नस्ल-जातीयता एडमिशन नियम पर फैसला।
