अनुसूचित जाति के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जज ने पूछा गंभीर सवाल।


The Dalit judge of the Supreme Court asked serious questions regarding the reservation of Scheduled Castes.

2006 में पंजाब में अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण को लेकर एक फैसला लिया गया था और इसी के तहत वाल्मीकि और मजहबी सिखों को महादलित का दर्जा दिया गया था। साथ ही, उनके लिए कुल 15 फीसदी आरक्षण में से आधा हिस्सा रिजर्व किया गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने 2010 में इस फैसले को खारिज कर दिया था। अब वर्तमान समय में पंजाब सरकार इस आरक्षण के बचाव में उच्चतम न्यायालय पहुंची है। तो वही, इस मामले में अहम टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने सवाल किया है की अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग का कोई व्यक्ति आईएएस या आईपीएस बनने के बाद उसके पास बेहतरीन सुविधाएं होती हैं और उनके पास कोई अभाव नहीं रह जाता। फिर भी उनके बच्चों को आरक्षण मिलता है। उनके ही तरह दूसरे वर्ग के लोगों को भी इसका फाइदा मिलना चाहिए।

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