दो वर्गों में बटा भोजपुरी समाज। अश्लील और जातिवादी गानों का दिख रहा असर।


Bhojpuri society divided into two classes. The effect of obscene and racist songs is visible.

उत्तर प्रदेश/बिहार: यदि बात करे तो आज का भोजपुरी समाज दो भागो में बटा हुआ दिख रहा है जहां एक वर्ग जातिवादी और अश्लील भोजपुरी गानों का विरोध कर रहा है। वही दूसरा वर्ग इसका समर्थन कर रहा है। इन भोजपुरी के अश्लील और जातिवादी गानों से सोशल साइट्स सहित समाज में भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। कई जगह हाथापाई तक हो जा रही है। बात करे सोशल साइट्स फेसबुक और यूट्यूब की तो यहां कुछ लोग एक दूसरे को गली गलौच करते हुवे लाइव वीडियो बना रहे है तो कुछ लोग उन लाइव विडियोज पर ही कॉमेंट कर के अपशब्द भाषा का प्रयोग कर अपनी वाहवाही लूट रहे हैं।

​​​जारी है सोशल साइट्स वार, कौन जिम्मेवार ?

देखा जाए तो इस सोशल वार से भोजपुरी के कुछ बड़े कलाकारों को और युटूबर्स को फायदा हो रहा है जो अपने गानों और यूट्यूब चैनल्स  का व्यूज बढ़ाने के लिए सोशल साइट्स पर आकर अनर्गल बातें कर और अपशब्द भाषा का प्रयोग कर अपने फैंस के साथ आम जनमानस का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ऐसे लाइव विडियोज पोस्ट कर रहे है। जिससे उनके फैंस आपस में सोशल वार छेड़ दे रहे है सोशल साइट्स पर युद्ध जैसा माहौल बना हूवा रह रहा है। कभी भोजपुरी में पावर स्टार के नाम से प्रसिद्ध पवन सिंह को कटाक्ष करते हुवे ट्रेंडिंग स्टार के नाम से मशहूर भोजपुरी गायक खेशरीलाल यादव लाइव आते है। तो कभी खेसारी लाल को टारगेट कर पवन सिंह लाइव आते है। उसके बाद इन दोनो ही कलाकारों के समर्थक और फैंस आपस में टकराते है। कभी मगहिया जवान के नाम से जाने जाने वाले समय सिंह और गौतम सिंह लाइव वीडियो में खेसारीलाल यादव के लिए अपशब्द भाषा का प्रयोग करते है। तो कभी प्खेशरी लाल यादव के टीम के लोग मगहिया जवान के साथ पवन सिंह और उनके टीम पर हमलावर अंदाज में वीडियो शेयर करते है।

अश्लील और जातिवादी भोजपुरी गानों का जारी है दौर।

एक समय था जब भोजपुरी गाने लोग घरों में भी सुना करते थे, वो दौर था भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर का, वो दौर था महेंद्र मिश्र का, जिसे भारत शर्मा,गोपाल राय और मनोज तिवारी जैसे लोगो ने अपनी कला और साहित्य के बल पर लोगो को भोजपुरी गाने सुनने को मजबूर कर दिया था, क्युकी उस समय के गानों में भोजपुरी की सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ भोजपुरी के मिठास को संगीत के माध्यम से पिरोया जाता था और लोग अपने घरों में भोजपुरी गानों को सुन कर अपनी भाषा पर गौरवान्वित होते थे। एक दौर है आज का जब आज के कलाकार शरीर के अंगों का नाम लेकर अश्लील और जातिवादी गाने गाकर कुछ व्यूज और लाइक्स के लिए भोजपुरी जैसी मधुर भाषा की अस्मिता को धूमिल कर रहे है। भोजपुरी की सभ्यता और संस्कृति को कलंकित कर रहे है। जिसमे कुछ लोग उन कलाकारों का और अश्लीलता और जातिवाद का विरोध कर रहे है तो कुछ समर्थन कर रहे है। आज का भोजपुरी समाज दो भागो में बंट गया है। एक वर्ग समर्थन कर रहा है तो दूसरा विरोध जिसका फायदा उठा रहे है भोजपुरी के कलाकार गायक, और नुकसान झेल रही है आम जनता और उन कलाकारों के समर्थक। 

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