1990 में अयोध्या में कारसेवा करने जा रहे कार सवकों को पुलिस द्वारा बंदी बनाए जाने के बाद जेल में जेल प्रशासन की तरफ से उन्हें 107-16 की धारा में राम भक्ति चालान का एक प्रमाण पत्र दिया जाता था। कार सेवा में जेल जाने वाले अलीगढ़ के अनुराग वार्ष्णेय से मिली जानकारी के अनुसार, उस समय मंदिर जाना, राम का नाम लेना एक अपराध था। राम का नाम लेने पर मुलायम सरकार की पुलिस मर्डर करने वाले आरोपियों जैसे उनसे व्यवहार करती थी।
1990 में राम का नाम लेना था अपराध, आज हो रही है राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा।
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