6 दिसंबर 1992 को कानपुर देहात के सरवनखेड़ा ब्लॉक के लोहारीगांव के निवासी रविशरण सिंह अयोध्या के विवादित ढांचे की नींव से एक पत्थर खुद ही खोद कर घर ले आए थे और तब से वह घर की एक छोटी सी अलमारी में उस पत्थर को स्थापित कर 31 साल से एक अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित करते आ रहे है। 1990 में 29 नवंबर को भी रविशरण सिंह अपने साथी अशोक शुक्ला, लायक सिंह आदि के साथ कारसेवा के लिए निकले थे।
अयोध्या के विवादित ढांचे की नींव के पत्थर के सामने 31 साल से जल रही है अखंड ज्योति।
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