सन् 1983 में राजस्थान के जयपुर एक मारवाड़ी परिवार में जन्मी ईशा गुप्ता का 24 साल की उम्र में विवाह कर दिया गया, ईशा अपने पति के साथ दिल्ली में अकेले रहती थी। ईशा बताती है कि 2009 में वह अपने पहले बच्चे के साथ प्रेग्नेंट थीं, तब कोई बताने वाला भी नहीं था कि इस दौरान उन्हें किस चीजों का ध्यान रखना चाहिए। पहली प्रेग्नेंसी में उन्होंने अपना कुछ भी ख्याल नहीं रखा, प्रेग्नेंसी में उतनी ही लापरवाही बरती, जितनी जवानी के दिनों में आमतौर पर लोग बरतते हैं। इस लापरवाही का परिणाम उन्हें डिलीवरी के वक्त भुगतना पड़ा। डिलीवरी के बाद उन्हें रिकवर करने में चार-पांच महीने लग गए। लेकिन पांच साल बाद 2015 में दूसरी प्रेग्नेंसी के समय ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि इस दौरान उनकी सासू मां और मां, दोनों साथ थीं। डिलिवरी के बाद दोनों मांओं ने उनका और उनके खान-पान का खूब ख्याल रखा। आश्चर्यजनक रूप से इस बार उनका रिकवरी टाइम काफी कम रहा। उन्हें समझ में आया कि यह सिर्फ बातें नहीं, बल्कि एक मां की बहुत बुनियादी और प्राकृतिक जरूरत है। इसके बाद ईशा ने गर्भवती महिलाओं को ध्यान में रखते हुए Maa Mitahara की शुरुआत की। गर्भवती महिलाओं की सभी समस्याओं, जरूरतों और सवालों के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन है। सिर्फ एक साल के अंदर ही इस स्टार्टअप 500 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं ने लाभ लिया। एक साल में कंपनी ने 25 लाख का बिजनेस किया है। ईशा बताती हैं कि अभी यह शुरुआती चरण में है।
दादी-नानी के नुस्खो से शुरू किया स्टार्टअप, आज 25 लख रुपये का टर्नओवर।
