चाचा को देख बॉक्सिंग में लेने लगी दिलचस्पी, शुरू की कोचिंग, आज दुनियाभर में नाम।


Seeing uncle started taking interest in boxing, coaching started, names worldwide today.

हर इंसान की जिंदगी में कभी ना कभी रुकावटें आती हैं, जो इंसान इन रुकावटों को पार करके आगे बढ़ता है, वहीं इंसान अपने मुकाम को हासिल कर पाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है निकहत जरीन की, जिन्होंने बॉक्सिंग में कुछ समय पहले ही थाईलैंड की बॉक्सर को हराकर अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। 14 जून सन् 1996 में जन्मी निकहत जरीन के चाचा समसुद्दीन ने इन्हें बॉक्सिंग की दुनिया से रूबरू कराया, इनके चाचा बॉक्सिंग के कोच थे। अपने चाचा को कोच करते देख जरीन की भी बॉक्सिंग में रूचि बढ़ने लगी, और वो अपने चाचा से कोचिंग लेने लगी। जरीन को 2015 में हुए एक इवेंट के दौरान उनके कंधे में चोट लग गई, जिससे उन्हें सर्जरी करानी पड़ी, फिर इन्होंने बॉक्सिंग छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने 2019 में बॉक्सिंग में वापसी की। निकहत जरीन ने देश-विदेश में कई मेडल जीते हैं, जिसमे सबसे पहले इन्होंने 2010 में इरोड टूर्नामेंट में पहला खिताब जीता थी। इसके बात यह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई और लगातार खिताब अपने नाम करती गयी। निकहत ने 2021 मे इस्तांबुल में हुए इंटरनेशनल इवेंट में ब्रोंज मेडल जीता था। 

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