1940 के दशक में राजस्थान के पावटा में एक किराना दुकान की शुरुआत हुई थी। यह शुरुआत शम्मी अग्रवाल के दादाजी ने की थी, उस समय इसे पंसारी की दुकान के नाम से जाना जाता था। इसके बाद शम्मी के दादाजी कोलकाता शिफ्ट हो गए और धीरे-धीरे सरसों और तेल का थोक कारोबार शुरू किया, 1980 के दशक की शुरुआत में तिल का बिजनेस ठप हो गया, उस समय अग्रवाल परिवार को अहसास हुआ कि बीजों का कारोबार जोखिम भरा है, इसके बाद वे बीजों के कारोबार से खाद्य तेल के कारोबार पर शिफ्ट हो गए। 1990 के दशक ट्रेडिंग से मैन्युफैक्चरिंग में कदम और 2005 आने तक कंपनी ने उत्तरी भारत में 7 यूनिट लगाईं। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग व फाइनेंस में MBA करने वाले शम्मी कारोबार से जुड़े और जुड़ने के बाद पंसारी ग्रुप ने पंसारी ब्रांडेड सरसों तेल लॉन्च किया, शम्मी ने कारोबार को बिजनेस टू बिजनेस (B2B) से बिजनेस टू कंज्यूमर (B2C) बनाया। इस वक्त पंसारी ग्रुप के 2700 से अधिक क्लाइंट्स, 4 जगहों पर ऑफिस, 600 से ज्यादा टीम मेंबर, 700 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर, 145530 से ज्यादा रिटेलर, 2500 से ज्यादा होलसेलर और 45 से ज्यादा इंस्टीटयूशनल सप्लाई होती है। वहीं पंसारी ग्रुप का सालाना टर्नओवर 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है।
पंसारी की छोटी सी दुकान की शुरुआत, आज 1000 करोड़ टर्नओवर।
