वैसे तो अपराध और अपराधियों से सिवान का संबंध बहुत पुराना रहा है। यहां कई बड़े बड़े अपराधी पैदा हुए हैं और उन्होंने अपराध से राजनीति तक का सफर भी तय किया है। जिनमे कुछ आज भी जीवित है और कुछ अपराधियों की जीवन लीला समाप्त भी हो चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में (वर्ष 2006- 2015) तक सिवान तो क्या पूरे बिहार में अपराध जैसे थम सा गया था। परंतु 2016 से अपराध सिवान में फिर से धीरे धीरे बढ़ने लगा वर्तमान समय में सिवान में अपराधियों का वर्चस्व पुनः स्थापित हो गया है और पुलिस प्रशासन अपराधियों की नकेल कसने में नाकामयाब साबित हो रही है। सिवान में आए दिन लूट,डकैती, वाहन चोरी और हत्या के मामले सामने आ रहे है। सिवान जिलांतर्गत हुसैनगंज प्रखंड के महुवल गांव में एमएलसी चुनाव के खत्म होते होते ही 4 अप्रैल की रात को निर्दलीय प्रत्याशी रईस खान के काफिले पर एके -47 से अंधाधुंध फायरिंग का हमला कर दिया गया था। जिसमे सिसवन प्रखंड के एक व्यक्ति की मौत तथा 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ये मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की 27 तारीख को महाराजगंज में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई , हत्या के कारणों और अपराधियों का पता लगाने में प्रशासन को अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। हालाकि पुलिस हत्यारों और हत्या के कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है। वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है की सिवान 90 के दशक में वापस लौट रहा है, पुनः अपराध और अपराधी सिवान को अपने आगोश में ले रहे है और प्रशासन मौन धारण कर मूकदर्शक बनी हुई है।
पुनः अपराध और अपराधियों के आगोश में सिवान
